भारत ने 2008 में चंद्रयान-1 मिशन के साथ चंद्रमा की ओर अपना पहला ऐतिहासिक कदम बढ़ाया और इसके बाद 2013 में मंगलयान (मार्स ऑर्बिटर मिशन) को सफलतापूर्वक लॉन्च करके अंतरिक्ष में अपनी मजबूती साबित की। इन मिशनों ने भारत को विश्व पटल पर वैज्ञानिक और तकनीकी उत्कृष्टता के क्षेत्र में एक नई ऊँचाई पर पहुँचाया।
चंद्रयान-1: भारत का पहला चंद्र मिशन
चंद्रयान-1, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा 22 अक्टूबर 2008 को लॉन्च किया गया था। यह मिशन भारत का पहला चंद्र अन्वेषण अभियान था, जिसका मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह का अध्ययन और वहां पर मौजूद खनिजों का विश्लेषण करना था। इस मिशन की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि चंद्रमा पर पानी के अंशों की खोज थी, जो अंतरिक्ष अनुसंधान में एक बड़ी सफलता मानी जाती है।
मुख्य विशेषताएँ:
- लॉन्च तिथि: 22 अक्टूबर 2008
- प्रक्षेपण स्थल: सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा
- प्रमुख खोज: चंद्रमा की सतह पर पानी के अंशों की उपस्थिति
- मिशन अवधि: लगभग 312 दिन
इस मिशन की सफलता के कारण भारत अंतरिक्ष अन्वेषण में अग्रणी देशों की सूची में शामिल हो गया।
मंगलयान: पहली ही कोशिश में मंगल तक पहुँचने वाला पहला देश
5 नवंबर 2013 को इसरो ने मार्स ऑर्बिटर मिशन (मंगलयान) को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। इस मिशन ने 24 सितंबर 2014 को मंगल की कक्षा में प्रवेश किया और भारत पहले ही प्रयास में मंगल ग्रह तक पहुँचने वाला पहला देश बन गया। इससे पहले केवल अमेरिका, रूस और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ही मंगल तक पहुँच पाए थे। यह मिशन भारत के लिए अत्यधिक गर्व का विषय बना।
मुख्य विशेषताएँ:
- लॉन्च तिथि: 5 नवंबर 2013
- मंगल की कक्षा में प्रवेश: 24 सितंबर 2014
- मिशन लागत: लगभग 450 करोड़ रुपये (सबसे किफायती मंगल मिशन)
- उपलब्धियाँ: मंगल की सतह और वातावरण का अध्ययन, मेथेन गैस की उपस्थिति की जाँच
मंगलयान की सबसे बड़ी खासियत इसकी लागत थी। इसे मात्र 450 करोड़ रुपये में पूरा किया गया, जो हॉलीवुड की कई साइंस फिक्शन फिल्मों के बजट से भी कम था। इस वजह से इसे ‘सबसे किफायती मंगल मिशन’ के रूप में पहचाना गया।
भारत की अंतरिक्ष यात्रा का भविष्य
चंद्रयान-1 और मंगलयान की अपार सफलता के बाद भारत ने कई और महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशन शुरू किए हैं। इनमें चंद्रयान-2, चंद्रयान-3, गगनयान मिशन और आदित्य-एल1 मिशन शामिल हैं। ये मिशन भारत को वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में और आगे ले जाने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं।
भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बल्कि राष्ट्रीय गर्व और तकनीकी आत्मनिर्भरता का भी प्रतीक है। इन सफलताओं ने भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान में एक महाशक्ति के रूप में स्थापित कर दिया है।
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जय हिंद!