जब भारत में शिक्षा और ज्ञान की बात होती है, तो श्रीकांत जिचकर का नाम सबसे पहले लिया जाता है। वे सिर्फ एक विद्वान नहीं थे, बल्कि एक चलता-फिरता विश्वविद्यालय थे। उनके पास कुल 220 डिग्रियाँ थीं, जो उन्हें भारत का “सबसे अधिक पढ़ा-लिखा व्यक्ति” बनाती हैं।
श्रीकांत जिचकर: एक असाधारण व्यक्तित्व
श्रीकांत जिचकर का जन्म 14 सितंबर 1954 को हुआ था। उन्होंने IAS, IPS, MBBS, MD, LAW, DIL, ITI, PHD, MBA सहित विभिन्न विषयों में डिग्रियाँ प्राप्त कीं। उनकी शिक्षा यात्रा किसी प्रेरणादायक कहानी से कम नहीं थी। उन्होंने 42 विश्वविद्यालयों से पढ़ाई की और लगातार नए विषयों को सीखने की ललक बनाए रखी।
एक प्रतिभाशाली छात्र से लेकर राजनेता तक
श्रीकांत जिचकर ने न केवल शिक्षा में कीर्तिमान स्थापित किया, बल्कि वे भारत के सबसे युवा विधायक भी बने। 1978 में, वे भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में चुने गए, लेकिन एक साल बाद ही राजनीति में प्रवेश करने के लिए इस्तीफा दे दिया। वे 1980 में महाराष्ट्र विधानसभा के लिए चुने गए और मंत्री भी बने।
शिक्षा का जुनून और 20 घंटे की पढ़ाई
वे हर दिन 20 घंटे पढ़ाई करते थे और अपनी असाधारण मेधा के कारण कई डिग्रियाँ अर्जित कीं। उनके पास संविधान, राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र, व्यावसायिक प्रशासन, मनोविज्ञान, संस्कृत, इतिहास, अंग्रेजी साहित्य, पत्रकारिता जैसी विविध विषयों की डिग्रियाँ थीं।
एक दुर्भाग्यपूर्ण अंत
इतनी विलक्षण प्रतिभा और ज्ञान का भंडार रखने वाले श्रीकांत जिचकर का 2 जून 2004 को एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया। उनकी असामयिक मृत्यु ने पूरे भारत को एक महान बुद्धिजीवी से वंचित कर दिया।
प्रेरणा स्रोत और शिक्षा का प्रतीक
श्रीकांत जिचकर न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनकी शिक्षा और उपलब्धियाँ हमें सिखाती हैं कि सीखने की कोई सीमा नहीं होती। वे हर छात्र, शिक्षक और ज्ञान के साधकों के लिए एक अमर प्रेरणास्त्रोत हैं।
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